बारिश एक कल्पना
बारिश की यह चक्रधारी रहस्यमय बूंदे
कई वीराने में जान तो ,
जगमगाते शहर में सैलाब लाती है
जीने की एक नई सोच, ख्वाब तो
जीने की एक नई सोच, ख्वाब तो
नई खुशियां की हरियाली लाती है
कागज की कश्तियाँ को चलाने का मज़ा लाती है
फिर कही यह मोहब्बत भरी वो हवा लाती है
देख इसे किसी को अपने मासूक की याद तड़पाती है,
तो कोई मेहबूबा समझ कर इसमें में नहा लेता है
कागज की कश्तियाँ को चलाने का मज़ा लाती है
फिर कही यह मोहब्बत भरी वो हवा लाती है
देख इसे किसी को अपने मासूक की याद तड़पाती है,
तो कोई मेहबूबा समझ कर इसमें में नहा लेता है
गौरव कुमार खेड़ावत