Saturday, December 31, 2022

लड़कियाँ


मनमोहित सी अप्सराएँ  स्वयं चाँदनी स्वर्ण प्रतिमा
पृथ्वी पर आ पहुंची है, यह लड़कियाँ !!

जाल फेंकती अपने माया रूप यौवन का
फिर हँसती  हँसती  आखेट करती हम पुरुषों  का ,यह लड़कियाँ !!!

लहर लास्य की राग लगाती अंग अंग अपने में
फिर आग लगाती हैं नर के सुप्त शांत जीवन में, यह लड़किया !!

नर के सुरपुर प्राणों में  प्रमोद  भरती हैं
बहुत निकट आकार, निकट पाकर, कामना से खींच कर, यह लड़कियाँ !!

पायल की वो जनकार सुनाती ,नयन सुख से ध्यान करवाती
फिर ह्रदय से उत्सर्जित रक्त में उबाल लाती है, यह लड़कियाँ !!

रूप रंग रस गन्ध पूर्ण साकार कमल
फिर कैसे बन्ध जाती हैं किसी एक नर के दो बाँहों मे,यह लड़कियाँ !!

अर्ध निद्रा  में आकार विमुख प्रेम में जगाकर
हम से ये प्रेम कविताएं  लिखवाती हैं, यह लड़कियाँ !!

           हाय !! यह लड़कियाँ यह लड़कियाँ !!

                            गौरव कुमार खेड़ावत

                                        
                                               

Sunday, November 27, 2022

शुभ सुहाग की रात


 










होठों पर प्यास महकाते ,पग पायल चम् चम् चमकाते 

ठमकै से ठुमक-ठुमक छम-छम  चलती होगी   

साँसों की रफ्तारे बहुत तेज होती होगी                          

                           जब शुभ सुहाग की रात आती  होगी 


गूंथते बालों की घटाओ मे ना उलझती होगी 

जब प्रियतम की मदिरा घुली  आँखोंको देखती होगी 

की प्यार का महूरत ना  निकल जाए 

इसीलिए समय को व्यक्त तनिक भी ना करती होगी  

                            जब शुभ सुहाग की रात आती  होगी 


महावर रचाये   पाँव में, महलों मे बैठी होगी 

मदहोश भरी रातों मे जब सितारों को भी नींद आती होगी 

गोरे से मुखड़े पे मुस्कान आती होगी 

तब वो पूनम का चाँद  भी फीका पड़  जाता होगा 

            जब शुभ सुहाग की रात आती  होगी 


सुर्ख होठों में शरमाते  घूँघट के पट मे बैठी होगी 

तो पट खुलते होंगे अधरों से अधर मिलते होंगे 

बिना संवाद मौन में  सब रात भर

चूड़ियाँ ही बस खनखनाती होगी 

     जब शुभ सुहाग की रात आती  होगी 

                  गौरव कुमार खेड़ावत 


Wednesday, July 28, 2021

उर्मिला : अकेले ही क्यों चले गए प्रिये



क्षण भर  भी ना सोचा तुमने प्रिये
 क्या होगा तुम्हारी उर्मिला का पीछे
तुम शिला की मूर्ति बन गए 
हाय! प्रिये तुम अकेले ही क्यों  वन चले गए 
 
 भाई  धर्म निभाने  को जाना था यह माना हमने 
तो मुझे पत्नी धर्म निभाने देते 
अकेले ही क्यों वन मे  चले गए मुझे साथ आने देते 

माना  भ्रमण  कुछ नया होता 
पथरीले रास्तों पे काँटों सा  बिस्तर होता 
   चित्र ऐसा होता थोड़ा विचित्र सा  होता 
पर वियोग  की पीड़ा से अच्छा होता

कि कुछ  तुम करते कुछ  मे करती
मिल -जुल  के सेवा  श्री राम और माँ सीता की  करते 
 पर ऐसा तुमने होने ना दिया  
अकेले ही वन जाने का निर्णय लिया 
तो सुनो 

        रघुकुल  रीत सदा  चली आई प्राण जाए पर वचन ना जाए 
पर प्रिये वो जो 
   साक्षी मान अग्नि के  सात फेरो मे जो  वचन दिया 
वो निभाना  तुम  भूल  गए 
  हाय! प्रिये तुम अकेले ही क्यों  वन चले गए   
                                                     

       गौरव कुमार खेड़ावत

Wednesday, December 9, 2020

कोरोना : जो धुओं में लैब लैब में धुआँ


 

    ख़यालो  में संसार होता, कॉलेज का अंतिम साल होता,
वो दोस्तों का साथ होता 

कुछ काम होता तो कुछ बवाल  होता,  

  शायद इस बार इश्क़ का इज़हार भी  होता  में |

 कमबख़्त अगर यह कोरोना  होता  ||


क्लास का बंक , कैंटीन में जाना होता 

 हर एक शख्स पे ध्यान होता, फ्रेशर का इंतज़ार होता


जो धुओं में लैब लैब में धुआँ होता ,

सोडियम का पानी से मिलन मिलवाना होता| 

फूलो से इज़हार नहींउन  पर अत्याचार  होता  

वो फ़ाइल बनाने का लफड़ाफिर रिश्वत का कारोबार होता |

कमबख़्त अगर यह कोरोना   होता ||


रोज़  किसी को  देखना होता तो किसी से झगड़ना होता 

वो गार्डन में आँखो ही आँखो में प्यार  होता 

हाए  काश  यह कोरोना नहीं होता 


ना ऑनलाइन क्लास  ना यह ज़ूम होता

 कॉलेज में  आते जाते हमारा भी  नाम होता 

कमबख़्त अगर यह कोरोना   होता तो 


गौरव कुमार खेड़ावत 






          

Wednesday, September 30, 2020

उसे याद तो मेरी आती होगी !


 

गुस्से में जब वो होती होगीबात किसी से न करती होगी
बैठ कर अकेले वो
 गाने सुनती होगी 
तब शायद  उसे मेरी  याद आती होगी 

अमरूद जब  खाती होगी, आईने में खुद  को जब वो सवारती होती  
उस पेन से जब  लिखती होगी, मेरी कॉपी को  जब वो  पढ़ती होगी 
तब शायद  उसे मेरी  याद आती होगी 

 

टैकनोलजी में जब फंसती होगी, घड़ी हाथ में जब वो देखती होगी 
अरे हिंदी में इसे ऐसे लिखते यह किसी को  समझाती होगी 
तब शायद उसे मेरी याद आती होगी

 

उस सहेली से वो मिलती तो होगी , जो मेरे बारे में जानती तो होगी
उससे वो  पूछती तो होगी , की क्या हुआ उस कवि मित्र का 
तो तुम चुप रहती होगी 
तब शायद उसे  मेरी याद आती होगी 

 दिन रात जो  मुझ से बाते  किया करती थी वो ,भाभी को किस्से मेरे सुनाया करती थी वो,
अब जो वो  दूर फ़ोन से खाली खाली रहती होगी,
 तो भाभी पूछती तो होगी की क्या हुआ जी
 बहाने जब वो बनाया करती होगी ,
तब शायद  उसे मेरी  याद आती होगी  
तब  मेरी याद आती होगी

 गौरव कुमार खेड़ावत
 


Tuesday, July 21, 2020

मोहब्बत का तलबगार



तुम्हारी छोटी सी मोहब्बत का, तलबगार हूँ मैं
तुम से कुछ और जो माँगू तो गुनहगार हूँ मैं

मेरे इजहार कि यह एक-सौ-आँठवीं अर्ज़ी
कर लो मंज़ूर कि बेकारी से बेज़ार हूँ मैं

बेवफ़ा न बनूँ और न बनूँगा पागल
अपने दिल का बाबू बना लो मुझे बेकार हूँ मैं
..!!!तुम्हारी छोटी सी..!!

मैंने कुछ घास नहीं काटी, किया तुझसे प्यार ,
हो समझदार, समझ लो कि आशिक़ हूँ मैं|

खेल सब देखे हैं, कप्तान हूँ मैं,
तुम्हे अपना बनाने को तैयार हूँ मैं|

फड़क रही है दायीं आँख, ये अच्छा है शगुन
हाँ जो हो जाओ तुम मेरी तो, वो स्‍वप्‍न सच्चा है||
..!!!तुम्हारी छोटी सी..!!

गौरव कुमार खेड़ावत

Thursday, January 30, 2020

मोहब्बत





बला सा रूप तेरा, मेरी नज़रों में समाना
बिन बताए फिर तेरा मुझे  मेरे दिल में  उतरना।
इन सब से तेरा  अनजान  होना , 
              कमबख्त मुझे तुझ से एक तरफा प्यार का होना

चांद सा चेहरा तेरा उस पर जुल्फों का आना,
तेरा उन्हें पकड़ना बाधना, फिर खोलना 
मेरा यूं तेरे को टकटकी लगा कर देखना ।
तेरी अदाओं पर मेरा पिघलना सांसो का थमना,
मेरे पर काबू ना होना 
         हाय कमबख्त मुझे एक तरफा मोहब्बत का होना

मेरी रूह में तेरा होना, तेरी हर बातों का अच्छा लगना
तेरी हर मुस्कुराहट पर मेरा पागल होना,
आये कोई नजदीक तेरी तो अंदर ही अंदर जलना,
 गुस्से से लाल होना।
पर बातों को दिल में दबाना,जमाना ना जान ना पाए, इसलिए किसी से कुछ ना कहना है।
       हाय कमबख्त मुझे तुझ से एक तरफा मोहब्बत का होना

नींद से बेवफाई करना ,मोहब्बतों की किताबें पढ़ना  हर पंक्ति  पर तुझको याद करना।
तुझ से चुराए हुए पैन को सीने से लगाना, फिर तेरा मेरे पास होने का एहसास होना।
            कमबख्त एक तरफा मोहब्बत का होना

अकेले बैठना, तेरी फोटो को देखना, तुझे याद करना।
 ख्वाब आना एक पल के लिए सही पर तू मेरी हमसफ़र होना तेरा मुझ पर अधिकार होना।
             कमबख्त मुझे तुझसे एकतरफा प्यार होना
                      
   गौरव कुमार खेड़ावत

Tuesday, August 27, 2019

वो आती क्यों नहीं


करती हो मुझ से प्यार तो बताती क्यों नहीं, 
करता हुं मैं जो  इज़हार,  मानती क्यों नहीं 
सामने आ जाऊ तो नज़रे मिलाती क्यों नहीं, 
मेरे साथ बैठ कर बाते करती क्यों नहीं
मेरे पिरोय हुए अल्फाजों को समझती क्यों नहीं 

लिखता हूं मैं तुम पे, तुम समझती क्यों नहीं,
मुझे कभी कॉल करती क्यों नहीं
छुपा ली है  मैंने तस्वीर तुम्हारी,जानती हो तो कुछ कहती क्यों  नहीं 


बुलाता तुम को आती क्यों नहीं 

जुल्फे फैला कर मुझे अपने सीने से लगाती क्यों नहीं 
तुम आती क्यों नहीं, मेरे बारे में एक  बार सोचती क्यों नहीं
मुझे अपना बनाती क्यों नहीं
गौरव कुमार खेड़ावत

Friday, May 3, 2019

कॉलेज का पहला साल




कॉलेज

नई उम्मीद के ख्वाबोँ से साथ कॉलेज में पहला कदम रखना
क्लास में आना किसी अनजान के के साथ  बैठना 
सब को देख कुछ  अजीब सा महसूस करना
पहली क्लास में ही  मैडम आना वो inorganic chemistry के अपवाद को पढ़ा
                                                                               
    धीरे धीरे बाते  शुरू करना, दोस्त बनाना मज़े करना                     खुद को  सबसे अच्छा बताने की Try करना 
         लडकियों  को देख  खुद का अंदाज़ बदलना
वो किसी खुबसूरत को देख कर दिल😍 के अरमानो को जगाना
         कॉलेज के उस हसीन😘सफ़र को शुरू करना



धीरे धीरे सभी टीचर से  मिलना 
वो मोर्निंग की क्लासेज में लेट जाना, VISHU  सर  का क्लास में न आने देना
 सिग्वी सर के साथ कॉलेज के साथ कॉलेज की  बुराईया करना
वो जूलॉजी वाली ma@amकी  क्लास में नींद लेना 
ज्योति ma@am की   क्लास में फ़ोन चलाना

 
अमिता ma@am का वो एन्गिश में पढाना
फिजिकल का "P"' भी नहीं आने  वालो का भी  SHURTI ma@am की सब क्लास में आना
बोहरा सर की क्लास का खाली मिलना,पता नहीं पर  कुछ तो बताना 
वो lab जा चालू होना practical से ज्यादा तो खुराबती दिमाग चलाना 
बॉटनी की लैब से  भाग जाना कैंटीन में सब का पाया जान 
विशु सर के lab में  सब को सांप सुघ जाना 
chemistry की lab के मज़े होना नमकीन को acid में डालना 
कुछ यु अपना पहल सफ़र गुजरना





वो दोस्तों की मिलना गार्डन में बैठना,अपने किस्से अपने लफरो के बारे में बताना 
वो पैसो के लिए fight करना फिर मिल जुल कर भेल खाना 
वो लडकियों के साथ लड़ना,वो ग्रुप admin की  fight होना
nonsense वाली फोटो बनाना और शेयर करना 
धीरे धीरे इस सफ़र को आगे बढ़ाना

फाइल बनाने में मौत आ आना' दोस्ती की कसमे दे कर फाइल  बनवाना
वो आई है या नहीं  यह देखा कर lab , क्लास  में जाना
वो डोसा खा कर किसी एक की जेब खली करना 
जो छोरियों को पार्टी पार्टी  बोल बोल  के थक जाना 
तो कॉलेज में किसी  का भैया ओ किसी का सया  बन जाना 

 बर्थडे पार्टी करना , सर के साथ घुमने जाना 
एग्जाम टाइम में  पढ़ने से ज्यादा  चैटिंग  करना 
5 साले को पेपर पर खुद से ज्यादा विश्वास करना 
कॉलेज के पहले साल  सफर को गुजरना

गौरव कुमार खेड़ावत