शुभ सुहाग की रात
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होठों पर प्यास महकाते ,पग पायल चम् चम् चमकाते
ठमकै से ठुमक-ठुमक छम-छम चलती होगी
साँसों की रफ्तारे बहुत तेज होती होगी
जब शुभ सुहाग की रात आती होगी
गूंथते बालों की घटाओ मे ना उलझती होगी
जब प्रियतम की मदिरा घुली आँखोंको देखती होगी
की प्यार का महूरत ना निकल जाए
इसीलिए समय को व्यक्त तनिक भी ना करती होगी
जब शुभ सुहाग की रात आती होगी
महावर रचाये पाँव में, महलों मे बैठी होगी
मदहोश भरी रातों मे जब सितारों को भी नींद आती होगी
गोरे से मुखड़े पे मुस्कान आती होगी
तब वो पूनम का चाँद भी फीका पड़ जाता होगा
जब शुभ सुहाग की रात आती होगी
सुर्ख होठों में शरमाते घूँघट के पट मे बैठी होगी
तो पट खुलते होंगे अधरों से अधर मिलते होंगे
बिना संवाद मौन में सब रात भर
चूड़ियाँ ही बस खनखनाती होगी
जब शुभ सुहाग की रात आती होगी
गौरव कुमार खेड़ावत
waah waah
ReplyDeletewaaH waah ky baat h
ReplyDeleteWaah Kaviraj wah Adbhut
ReplyDeleteधन्यवाद साहब
DeleteNice 👍👍👍
ReplyDeleteGood😊
ReplyDelete😂. sachcha wala tu hi h bhai
ReplyDeleteBtw Bahut badiya
👌👌👌👌👌
ReplyDeleteSuperb bhai
ReplyDeleteBhooht acchaa
ReplyDeleteLol
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 15 फरवरी 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
धन्यवाद आपका बहुत बहुत की
Deleteमेरी कविता अपनी ब्लॉग पर प्रकाशित करने के लिए
nice...
ReplyDeletethanks
Delete💝💝💝💝
ReplyDeleteअति सुन्दर सौन्दर्य सृजन।
ReplyDeletethanks
ReplyDeleteNice bhaiya keep going
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