Sunday, November 27, 2022

शुभ सुहाग की रात


 










होठों पर प्यास महकाते ,पग पायल चम् चम् चमकाते 

ठमकै से ठुमक-ठुमक छम-छम  चलती होगी   

साँसों की रफ्तारे बहुत तेज होती होगी                          

                           जब शुभ सुहाग की रात आती  होगी 


गूंथते बालों की घटाओ मे ना उलझती होगी 

जब प्रियतम की मदिरा घुली  आँखोंको देखती होगी 

की प्यार का महूरत ना  निकल जाए 

इसीलिए समय को व्यक्त तनिक भी ना करती होगी  

                            जब शुभ सुहाग की रात आती  होगी 


महावर रचाये   पाँव में, महलों मे बैठी होगी 

मदहोश भरी रातों मे जब सितारों को भी नींद आती होगी 

गोरे से मुखड़े पे मुस्कान आती होगी 

तब वो पूनम का चाँद  भी फीका पड़  जाता होगा 

            जब शुभ सुहाग की रात आती  होगी 


सुर्ख होठों में शरमाते  घूँघट के पट मे बैठी होगी 

तो पट खुलते होंगे अधरों से अधर मिलते होंगे 

बिना संवाद मौन में  सब रात भर

चूड़ियाँ ही बस खनखनाती होगी 

     जब शुभ सुहाग की रात आती  होगी 

                  गौरव कुमार खेड़ावत