Tuesday, December 4, 2018

वो बदल गए





सोचा नहीं था की वो ऐसे हो जायेगे,
ग़ुरूर -ए-हुस्न  इतना घुल जाओगे।
कभी बोला करते थे, वो हम से याद रखेगे जिंदगी भर।
पर  अफ़सोस, 
वक़्त और दूरियों  के साथ वो इतना मिल गए 
की हम से मिले तो  "बात"  करना भी वो  भूल गए 
 सच मे इतना वो बदल गए।
अब  वो समझ रहे है की,
मैं सिमटने को वापस  आऊगा उनसे, 
पर उन्हें कौन  समझ जाये की,
कलम से भी घायल कर दे वो क्षत्रिय है गौरव,
 किसी के  हुस्न के गुलाम नहीं।

गौरव कुमार खेड़ावत