गुरु
सर्जन और विनाश को अपनी गोद में रखकर
खुदा से मिलाने का जज़्बा रखते है
देकर अक्षर ज्ञान वो शब्द वाक्यो से पहचान करवाते है
ख्वाइशो की मुश्किल राहो में जीने ,जीतने आसान राहे दिखतें है गुरु
कैसे बनना क्या बनना हर किसी के अंदर के सपनों को जगते है
डूबती हुई कस्ती को बार करते है गुरु
इंसान को इंसान बनाते है गुरु
हो जाए निश्चित गुरु का तो नादान इन्सान को भी
सम्राट मौर्य बना दे
गौरव कुमार खेड़ावत