Wednesday, September 5, 2018

गुरु


 सर्जन और विनाश को अपनी गोद में रखकर 
खुदा से मिलाने का जज़्बा रखते है 
देकर अक्षर ज्ञान वो शब्द  वाक्यो से पहचान करवाते है
ख्वाइशो की मुश्किल राहो में जीने ,जीतने आसान राहे दिखतें है गुरु 
कैसे बनना क्या बनना हर किसी के अंदर के सपनों को जगते है 
डूबती हुई कस्ती को बार करते है गुरु 
इंसान को इंसान बनाते  है गुरु
हो जाए निश्चित गुरु का तो  नादान इन्सान को भी 
सम्राट मौर्य बना दे 

गौरव कुमार खेड़ावत