Wednesday, December 9, 2020

कोरोना : जो धुओं में लैब लैब में धुआँ


 

    ख़यालो  में संसार होता, कॉलेज का अंतिम साल होता,
वो दोस्तों का साथ होता 

कुछ काम होता तो कुछ बवाल  होता,  

  शायद इस बार इश्क़ का इज़हार भी  होता  में |

 कमबख़्त अगर यह कोरोना  होता  ||


क्लास का बंक , कैंटीन में जाना होता 

 हर एक शख्स पे ध्यान होता, फ्रेशर का इंतज़ार होता


जो धुओं में लैब लैब में धुआँ होता ,

सोडियम का पानी से मिलन मिलवाना होता| 

फूलो से इज़हार नहींउन  पर अत्याचार  होता  

वो फ़ाइल बनाने का लफड़ाफिर रिश्वत का कारोबार होता |

कमबख़्त अगर यह कोरोना   होता ||


रोज़  किसी को  देखना होता तो किसी से झगड़ना होता 

वो गार्डन में आँखो ही आँखो में प्यार  होता 

हाए  काश  यह कोरोना नहीं होता 


ना ऑनलाइन क्लास  ना यह ज़ूम होता

 कॉलेज में  आते जाते हमारा भी  नाम होता 

कमबख़्त अगर यह कोरोना   होता तो 


गौरव कुमार खेड़ावत