Tuesday, July 21, 2020

मोहब्बत का तलबगार



तुम्हारी छोटी सी मोहब्बत का, तलबगार हूँ मैं
तुम से कुछ और जो माँगू तो गुनहगार हूँ मैं

मेरे इजहार कि यह एक-सौ-आँठवीं अर्ज़ी
कर लो मंज़ूर कि बेकारी से बेज़ार हूँ मैं

बेवफ़ा न बनूँ और न बनूँगा पागल
अपने दिल का बाबू बना लो मुझे बेकार हूँ मैं
..!!!तुम्हारी छोटी सी..!!

मैंने कुछ घास नहीं काटी, किया तुझसे प्यार ,
हो समझदार, समझ लो कि आशिक़ हूँ मैं|

खेल सब देखे हैं, कप्तान हूँ मैं,
तुम्हे अपना बनाने को तैयार हूँ मैं|

फड़क रही है दायीं आँख, ये अच्छा है शगुन
हाँ जो हो जाओ तुम मेरी तो, वो स्‍वप्‍न सच्चा है||
..!!!तुम्हारी छोटी सी..!!

गौरव कुमार खेड़ावत