वो आती क्यों नहीं
करती हो मुझ से प्यार तो बताती क्यों नहीं,
करता हुं मैं जो इज़हार, मानती क्यों नहीं
सामने आ जाऊ तो नज़रे मिलाती क्यों नहीं,
मेरे साथ बैठ कर बाते करती क्यों नहीं
मेरे पिरोय हुए अल्फाजों को समझती क्यों नहीं
लिखता हूं मैं तुम पे, तुम समझती क्यों नहीं,
मुझे कभी कॉल करती क्यों नहीं
छुपा ली है मैंने तस्वीर तुम्हारी,जानती हो तो कुछ कहती क्यों नहीं
बुलाता तुम को आती क्यों नहीं
जुल्फे फैला कर मुझे अपने सीने से लगाती क्यों नहीं
तुम आती क्यों नहीं, मेरे बारे में एक बार सोचती क्यों नहीं
मुझे अपना बनाती क्यों नहीं।
गौरव कुमार खेड़ावत

👌👌👌
ReplyDeleteBhut khoob✌️✌️👍
ReplyDeleteBadiya
ReplyDeleteGajab
ReplyDeleteGajab #saandar #osm # nyc 🤗👌
ReplyDeleteNice poem✌✌
ReplyDeleteGood..keep it up
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