Wednesday, July 18, 2018

बारिश एक कल्पना



बारिश की यह चक्रधारी रहस्यमय बूंदे
कई वीराने में जान तो ,
जगमगाते शहर में सैलाब लाती है
जीने की एक नई सोच, ख्वाब तो
नई खुशियां की हरियाली लाती है
कागज की कश्तियाँ को चलाने का मज़ा लाती है
फिर कही यह मोहब्बत भरी वो हवा लाती है
देख इसे किसी को अपने  मासूक की याद तड़पाती है,
तो कोई मेहबूबा समझ कर इसमें में नहा लेता है

गौरव कुमार खेड़ावत

5 comments :

  1. Good gaurav . Keep it up dud . Yuhh

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  2. Wow, Just wow, I am stunned. I loved it. Very nicely written. Your choice of words and the flow were both nicely done as well as the strucutre. Amazing Job. Keep up the outstanding work.
    #Gk

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